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ॐ भूर्भुवः स्वः' गायत्री मंत्र का एक भाग है. इसका अर्थ है- 'हमारे मन को जगाने की अपील करते हुए हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करे'.

  ॐ भूर्भुवः स्वः' गायत्री मंत्र का एक भाग है.  इसका अर्थ है- ' हमारे मन को जगाने की अपील करते हुए हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें शुभ कार्यों की ओर प्रेरित करे '.   'ॐ भूर्भुवः स्वः' के शब्दों के अर्थ:  ॐ - आदि ध्वनि, भूर् - भौतिक शरीर या भौतिक क्षेत्र, भुव - जीवन शक्ति या मानसिक क्षेत्र, स्व - जीवात्मा.   गायत्री मंत्र के अन्य शब्दों के अर्थ:   तत् - वह (ईश्वर) सवितुर - सूर्य, सृष्टिकर्ता (सभी जीवन का स्रोत) वरेण्यं - आराधना भर्गो - तेज (दिव्य प्रकाश) देवस्य - सर्वोच्च भगवान धीमहि - ध्यान धियो - बुद्धि को यो - जो नः - हमारी प्रचोदयात् - शुभ कार्यों में प्रेरित करें गायत्री मंत्र के नियमित जाप से मन शांत और एकाग्र रहता है.  मान्यता है कि इस मंत्र का लगातार जपा जाए, तो इससे मस्तिष्क का तंत्र बदल जाता है.  

॥गुरु भजन लिखना वालया नू़ं॥

लिखन वालया नू़ं होके दयाल लिख दे मेरे दिल विच गुरु दा वो प्यार लिख दे 1. सिर उत्ते लिख दे गुरु द्वार झुकना      मेरे नैनो विच गुरु दीदार लिख दे                               मेरे दिल विच............ 2. जीवा उत्तर लिख दे हरि गुण गावां     मेरे ऐंठे उत्ते अपना तु नाम लिख दे                                   मेरे दिल विच............ 3. पैरा उत्ते लिख दे गुरु द्वारे जाना     मेरे हत्ता उत्ते सेवा वाला भाव लिख दे                                      मेरे दिल विच............ 4.इक न लिखि मेरे गुराॅ दा विछोणा    होर तू दुखो दा पहाड़ लिख दे                               मेरे दिल विच............ 5.कागा सब तनख...

॥गुरु भजन लिखना वालया नू़ं॥

लिखन वालया नू़ं होके दयाल लिख दे मेरे दिल विच गुरु दा वो प्यार लिख दे 1. सिर उत्ते लिख दे गुरु द्वार झुकना      मेरे नैनो विच गुरु दीदार लिख दे                               मेरे दिल विच............ 2. जीवा उत्तर लिख दे हरि गुण गावां     मेरे ऐंठे उत्ते अपना तु नाम लिख दे                                   मेरे दिल विच............ 3. पैरा उत्ते लिख दे गुरु द्वारे जाना     मेरे हत्ता उत्ते सेवा वाला भाव लिख दे                                      मेरे दिल विच............ 4.इक न लिखि मेरे गुराॅ दा विछोणा    होर तू दुखो दा पहाड़ लिख दे                               मेरे दिल विच............ 5.कागा सब तनख...