भूमिका कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसे दुनिया का सबसे विशाल जनसमूह भी माना जाता है। यह मेला चार पवित्र स्थानों—हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक—में हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित किया जाता है। इस महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत, अखाड़े और विभिन्न धर्मगुरु एकत्र होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, कुंभ मेले में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, दर्शन और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। यह एक ऐसा अवसर है, जिसमें दुनिया भर से लोग आकर भारत की समृद्ध परंपराओं और आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं। 1. कुंभ मेले का पौराणिक महत्व (क) समुद्र मंथन और अमृत कलश की कथा कुंभ मेले की उत्पत्ति हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध कथा से जुड़ी हुई है, जिसे समुद्र मंथन के नाम से जाना जाता है। इस कथा के अनुसार, देवता (सुर) और असुरों ने मिलकर क्षीरसागर (दूध का सागर) का मंथन किया, जिससे कई दिव्य वस्तुएं प्राप्त ह...
Indian Granth In The Magic For Success..